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भारत के सबसे खतरनाक तीर्थ स्थल | Most Dangerous religious places in India | Hindipack
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कहते हैं भगवान को पाना है तो कठिन तप करो…आज कल के समय में भो लोग तप करते है ताकि वे भगवान को पा सके। वैसे तो भगवान को पाने के अनेकों रास्ते होते हैं पर आस्था उन सभी रास्तों में सबसे प्रभुख है -
कहते हैं आस्था में वह शक्ति होती है जो हर कठिन परिस्थिति के बावजूद भक्त को भगवान के पास ले जाती है। यही वजह है कि देश में कई धार्मिक स्थलों की मुश्किल यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। कुछ यात्रायें तो ऐसी होती है, जिनमे भक्तों की जान जोखिम में पड़ जाती है। ये तीर्थ यात्राएं मनुष्य की आस्था की परिक्षाएं लेती रही हैं। विषम जलवायु, जानलेवा मौसम के बीच हर साल लाखों लोग यात्राएं पूरी कर भगवान की शरण में पहुँचते हैं -
पर सबसे मुश्किल यात्राएं कौनसी है, यदि आप भी यही जानना चाहते है तो दोस्तों स्वागत है आपका हिंदी पैक चैनल में, और आज के इस विडियो में हम सबसे मुश्किल धार्मिक यात्राओं के बारे में बात करने करने वाले है -
तो विडियो को बिना स्किप करे अंत तक देखते रहिये, चलिए विडियो शुरू करते हैं -
सबसे पहले नंबर पर जो यात्रा आती है उसका नाम है - कैलाश मानसरोवर यात्रा -
यह भारत के सबसे दुर्गम तीर्थस्थानों में से एक है। पूरा कैलाश पर्वत 48 किलोमीटर में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4556 मीटर है। इस यात्रा के बारे में कहा जाता है कि वहां वे ही लोग जा पाते हैं, जिन्हें भोले बाबा स्वयं बुलाते हैं। यह यात्रा 28 दिन की होती है।
दूसरे पर पर आती है - अमरनाथ यात्रा -
अमरनाथ धाम श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर यह तीर्थस्थल समुद्रतल से 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तापमान अक्सर शून्य से नीचे चला जाता है और बारिश, भूस्खलन कभी भी हो सकते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील और संदिग्ध मानी जाने वाली यात्रा के लिए पहले रजिस्ट्रशेन कराना होता है। बीमार और कमजोर यात्री अक्सर इस यात्रा से लौटा दिए जाते हैं।
तीसरे नंबर पर आती है - शिखर जी की यात्रा -
झारखंड के गिरीडीह जिले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित शिखरजी या श्री शिखरजी या पारसनाथ विश्व के सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है। 1,350 मीटर ऊंचा ये पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है, पारसनाथ पर्वत विश्व प्रसिद्ध है और यहां देश भर से हर साल लाखों जैन धर्मावलंबियों आते हैं।
चौथे नंबर पर आती है - पावागढ़ यात्रा
गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण के पास स्थित पावागढ़ मंदिर वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर और ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। काफी ऊंचाई पर बने इस दुर्गम मंदिर की चढ़ाई बेहद कठिन है। पर यात्रियों की सुविधा के लिए अब सरकार ने यहां रोप-वे सुविधा उपलब्ध करवा दी है।
पांचवें नंबर पर आती है - माँ नैनादेवी की यात्रा -
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थति नैनादेवी देवी शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित देवी मंदिर है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है। यह समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इतनी ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां जाने का मार्ग दुर्गम है। पर आज के समय की बात की जाये तो सरकार ने बहुत सी सुविधायों पर ध्यान दिया है जिसके कारण आज के समय पर वहां उड़्डनखटोले की व्यवस्था है और साथ में पालकी की भी व्यवस्था है ।
छठे नंबर आती है - हेमकुंड साहिब जी की यात्रा -
हेमकुंड साहेब गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है और हेमकुंड झील के तट पर स्थित है। यह जगह धार्मिक महत्व रखती है, क्योंकि सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने यहाँ सालों मध्यस्थ किया था । तीर्थस्थान के अंदर जाने से पहले, सिख, झील जो पास में स्थित है उसके पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। यहां की यात्रा करने के लिए 19 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा करनी होती है। इस यात्रा को पूरी करने के लिए या तो आप पैदल जा सकते हैं, या फिर खच्चरों का सहारा ले सकते हैं। इस यात्रा में जान का जोखिम भी काफी होता है।
सातवे नंबर पर आती है - माँ वैष्णो देवी की यात्रा -
वैष्णो देवी यात्रा भारत में हिन्दूओं का पवित्र तीर्थस्थल वैष्णो देवी मंदिर है जो त्रिकुटा हिल्स में कटरा नामक जगह पर 1700 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के पिंड एक गुफा में स्थापित है, गुफा की लंबाई 30 मी. और ऊंचाई 1.5 मी. है। लोकप्रिय कथाओं के अनुसार, देवी वैष्णों इस गुफा में छिपी और एक राक्षस का वध कर दिया। पहाड़ो वाली देवी के दर्शन करने के लिए कटरा से खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है जो कि 14 किलोमीटर की है। हालांकि अब हेलीकॉप्टर की सुविधा भी यहां पर उपलब्ध है। जिससे आप माता के मंदिर तक जा सकते हैं।
आठवे नंबर पर आती है - भगवान बद्रीनाथ जी की यात्रा
उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नाम के दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित बद्रीनाथ देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल में से एक है। गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे बसा यह तीर्थस्थल हिमालय में समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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