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भगवान विष्णु शालिग्राम#कार्तिक मास की कहानी #भगवान् भाव के भूखे होते है।
तुलसी-शालिग्राम के विवाह की दिव्य कथा सुनने मात्र से होगी सभी मनोकामनाएं तुरंत पूरीKartik Maas Aathon Vaar Ki Kahani | कार्तिक माह में आठों वार की कहानी | कार्तिक मास की कहानी
कार्तिक मास की कथा । कार्तिक मास 2019 | Kartik ki Kahani | kartik snan ki vidhi
https://youtu.be/6UrR2tRaJUw...कार्तिक मास की कहानी || कार्तिक मास 2018 ||Kartik ki Kahani
कार्तिक मास की कथा । Kartik Maas Ki Katha । कार्तिक मास की कहानी | Kartik Maas Ki Kahani
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कार्तिक माह में पूर्ण निष्ठा और भक्ति भाव से पूजा अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक महीने में बड़े और मुख्य तीज-त्योहार पड़ते हैं। कार्तिक महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा से हो जाती है। इसके बाद करवा चौथ, धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, देव उठनी एकादशी आदि पर्व मनाए जाएंगे। कार्तिक महीने का समापन गुरू नानक पूर्णिमा पर होता है। पं द्विवेदी के अनुसार कार्तिक महीने में देवउठनी एकादशी के अवसर पर एक बार फिर शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। विवाह, शादी, गृह प्रवेश, मुहूर्त आदि का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।
हिंदू धर्म में व्रत और तप का विशेष महत्व बताया गया है। व्रत और तप करने से सभी पापों का नाश तो होता ही है साथ ही ईश्वर की अनुकंपा भी प्राप्त होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।#KartikMonth #KartikMaasMahatmya #KartikMaas
कार्तिक माह में पूर्ण निष्ठा और भक्ति भाव से पूजा अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक महीने में बड़े और मुख्य तीज-त्योहार पड़ते हैं। कार्तिक महीने की शुरुआत शरद पूर्णिमा से हो जाती है। इसके बाद करवा चौथ, धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, देव उठनी एकादशी आदि पर्व मनाए जाएंगे। कार्तिक महीने का समापन गुरू नानक पूर्णिमा पर होता है। पं द्विवेदी के अनुसार कार्तिक महीने में देवउठनी एकादशी के अवसर पर एक बार फिर शुभ एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। विवाह, शादी, गृह प्रवेश, मुहूर्त आदि का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा।
"धर्म शास्त्रों में श्लोक वर्णित है
न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।
अर्थात- कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। कार्तिक मास में कुछ नियम प्रधान माने गए हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है। कार्तिक के नियम इस प्रकार है "
1तुलसी पूजा
इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
2भूमि पर शयन
भूमि पर सोना कार्तिक मास का प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
3द्विदलन निषेध
कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
4सिर्फ एक दिन लगाएं तेल
कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
5दीपदान
धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
6ब्रह्मचर्य
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं.
7संयम रखें
व्रती (व्रत करने वाला) को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करे। अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें आदि।
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शालिग्राम बहुत पवित्र वस्तुओं में से एक चमत्कारी चिन्ह है [XrFRC7HrSXo] |